Saturday 28 May 2016

छत्तीसगढ़ के आदिवासी परिदृश्य

भारत के संविधान के धारा 366(25) मा संविधानंेच के धारा उपर के अधार मा अइसना समाजिक समूह मन के नाम दिए हावय जेला भारत के राष्ट्रपति हर अनुसूचित जनजाति के दरजा दे हांवय। हमर देश में ए अनुसचित जनजाति मन ला आदिवासी के नाम के जाने जाथे। अभी ए सुची मा 705 आदिवासी समाज मन के नांव दर्ज हे। भारत मा 2011 के जनगणना के हिसाब ले देश के कुल आबादी के 8 प्रतिशत ले घलाय जादा जनसंख्या अदिवासी मन के हावय। ए मन में राज्य वार हमन बात करीन तव सबले जादा करीबन 95 प्रतिशत मिजोरम मा हांवय अउ सबले कमती 0.4 प्रतिशत गोवा मा हांवय। भारत मा आज जतका आदिवासी जन संख्या हावय आंेमाले सबले जादा 14 प्रतिशत ले अधिक मध्यप्रदेश म रहिथे। एमा दूरसा नंबर छत्तीसगढ़ के हे जिहां देश के 7 प्रतिशत ले अधिक आदिवासी मन रहिथे। भारत सरकार हा आदिवासी दरजा दे बर जउन सामाजिक अवस्था ला आधार बनाए गे हे तेखर हिसाब ले अइसना समाजिक समूह जउन मन मा आदिम जीवन पद्धति के लक्षण हे, जिनखर अपन विशिष्ट संस्कृति हे, जउन मन बाहर के मनखे अउ जगह  ले मिलब जुलब मा लजकुरहा हॉवय, जिखर मन के भौगोलिक रूप से अलग इलाका हे, अउ जउन मन पिछडा़ पन के स्थिति मा हांवय तउन मन मा आदिवासी के रूप से सरकार हर सूचीबृद्ध करे हांवय।

मीडिया मा, राजनीति मा अउ बौद्धिक चरचा मन मा आदिवासी मन के बारे मा बहुत बात करे जाथे, लेकिन हमन यदि असली आंकड़ा मन मा देखी तव हमन ला पता चलथे के देश के आने मनखे मन सरीक आदिवासी मन घलाय विकास के भागीदार हांवय। आजादी मिले के बाद के 50-60 साल मा एमन मा शिक्षा अउ-शिक्षा मा आधारित काम काज करइया के संख्या मा घलाय आन मन सरीक ही बढोतरी होय हावय। जनसंख्या मा बढो़तरी के मामला मा एक खास बा़त हे कि 2001 से 2011 के बीच मा जिहॉ 2001 के जनगणना मा इनखर मन के संख्या मा 17.69 प्रतिशत के बढो़तरी पाए गे रिहीस उहें 2011 मे ये बढो़तरी 23.66 प्रतिशत हो गे रिहीसे। महिला-पुरूष अनुपात मा आदिवासी मन के बीच स्थिति हा देश के आने मनखे मन ले बहुत अच्छा हे। देश म 1000 आदमी के पीछे 940 महिला हांवय लेकिन आदिवासी समाज म 1000 मनखे मन के पीछे ए संख्या हर 990 हे। देश के कुल जन संख्या मा आदिवासी मन के प्रतिशत मा क्रमशः काफी बढा़ेतरी होए हावस। 1961 मा देश के कुल आबादी मा आदिवासी मन के संख्या 6.9 प्रतिशत रिहीस हे जाउन हा 50 साल बाद 2011 मे बढ़ के 8.6 प्रतिशत हो गेहे।

छत्तीसगढ़, के लिए ए हर एक बहुत बड़ संजोग अउ सौभाग्य के बात आए कि इहॉ हमर पुरखा मन के जीवन पद्धति के उदाहरण के रूप में आदिवासी भाइ बहिनी मन के संख्या काफी अधिक हे। छत्तीसगढ़ म ओइसे तो सूची म 43 जनजाति मन के रहना बताए गेहे, लेकिन सच्चाई म इहां 31 जनजाति समूह ही निवास करथें अउ उकर मनके कुल संख्या राज्य के संख्या के अनुपात म 2011 के जनगणना म 30.6 प्रतिशत हे। ये संख्या ह 2001 के जनगणना के तुलना म 1 प्रतिशत कम हावय, जउन ह शायद राज्य बने के बाद बाहर ले आदमी मन के इहां आके बसना हावय। छत्तीसगढ़ म 5 अति पिछड़ी जनजाति हावय, जिनखर मन के नाम हे कमार, बिहोर, बइगा, पहाड़ी कोरवा अउ अबूझमाड़िया। इखरो मन के बीच भी अइसे कोनो बात देखेबर नइ मिलय के इखर मन मा आने आदिवासी म ले कमती विकास होय होहय।

एक ठन खास बात हे के 2001 म छत्तीसगढ़, मा 1083 गांव अइसनहा रिहिन जेमा सोला  आना रहइया मन आदिवासी रिहीन। ए गांव मन के संख्या हा घटके 2011 मा 1076 होगे। एखर मतलब ए आय के बाकी 5 गांव मन मा आने मनखे मन आके घला बसगंे।

मनखे मन के शिक्षा, शहरीकरण, नउकरी आदि के सेती इहा-उहा जाना अउ बसना हा अइसनहा कारण ए जेखर सेती आदिवासी मनके संख्या मा कुछ बदलाव देखे जाथे। दक्षिण बस्तर मा जारी हिंसक घटना मन के सेती घलाय मनखे मन अपन गांव ले आने गांव मा बसे लगे हे। पिछला महीना म एक ठन अखबार हा छापे रिहिस के बस्तर नारायणपुर, बीजापुर दंतेवाड़ा, अउ कांकेर मा एखर सेती आदिवासी जनसंख्या के बृद्धिदर मा कमी देखे गे हावय।

छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज मन हमर राज्य के सिंगार आय। कहे जाथे के आदिवासी समाज के ज्ञान परंपरा मन संपूर्ण रहिथे अउ ओमनला कोनो आने उपर आश्रित रहेके जरूरत नई परे। इतिहास अउ पुरातत्व मन राज्य के हजारो साल के बात ल कहिथे जेमा किसम किसम के नाम आथे फेर ओ मन मा कोनो आदिवासी समूह के नाव नइ आवय। जबकि हमन देखथन अउ मानथन के आदिवासी मन अंजान समय ले ही ये धरती के सोभा आय। जउन मन इहां के परकिरती अउ संस्कृति के बनवइया, ओमा जीवइया अउ ओला जीवित रखइया आयं।
- अशोक तिवारी

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