Saturday 28 May 2016

भाषा अऊ राजभाषा: साहेब मन के भोरहा

अड़बड़ आनंद के बात हे के छत्तीसगढ़ी ला छत्तीसगढ़ के एक ठन राजभाषा बनाए गे हावय। 14 अगस्त 2007 के एला राजभाषा के दरजा दे गे रिहिस, माने आठ बछर गुजर गे हावय अऊ हांसिल आया सुन्न सरीख हालत अभी ल घला बने है। मोला ए विषय में छत्तीसगढ़ सरकार के राजपत्र में छापे गे अधिसूचना देखे बर मिलिस। ओ अधिसूचना मा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव सबके काम लिखे हावय फेर राजभाषा आयोग के काम के जिकिर नई ए। मैं आज तक जतका विभाग-संस्था मन के एक्ट ला देखे हावव सबो में उनखर मन के उद्देश्य अऊ काम निर्धारित रूप मा लिखे गे रहिथे। फेर छत्तीसगढ़ी राजभाषा के एक्ट मा काबर एला नई लिखे गेहे समझ मा नई आवय। अऊ उंहा के बूता करइया मन मानले जनता के उमीद मुताबिक बूता नई करय, त ओमन ला सायद एखर अजादी हे, काबर के ओमन राजभाषा बर काय काम करिही तेला तो नई लिखे गे हें। एकाएक ठन अउ बात हे के आयोग अपन विवेक ले छत्तीसगढ़ी भाषा या साहित्य के संबंध में कार्यवाही कर सकत हे। अरे बबा रे, माने फुल आजादी, जौन चाह करलो, आपका छूट हे। अउ नई करहू तभो कोनो कुछू नई कहे सकय।

अब एक घव ए डहर देखे जाए के राजभाषा आयोग हर का करत हे। एखर बनाए के परिचय मा लिखे हावय के ‘‘राज्य के विचारों की परंपरा और राज्य की समग्र भाषायी विविधता के परिभाषा, प्रचलन और विकास करने तथा इसके लिए भाषायी अध्ययन, अनुसंधान तथा दस्तावेज संकलन, सृजन तथा अनुवाद, संरक्षण, प्रकाशन, सुझाव तथा अनुसंधान के माध्यम से छत्तीसगढ़ी पारंपरिक भाषा को बढ़ावा देने हेतु शासन में भाषा के उपयोग को उन्नत बनाने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन करने हेतु अधिनियम’’। अब एला धियान ले देखब तब समझ मा आथे कि एमा जउन बात लिखे गे हे ओ सब संस्कृति विभाग, साहित्य अकादमी या फेर अभिलेखागार के काम आय। एक दम आखरी लाइन मा जौन बात केहे गेहे, माने ‘‘शासन में भाषा के उपयोग’’ ला बढ़ाना हे, तेखर बर कोन भाषा मा बढ़ाना हे तउन लिखे नई गेहे। ए अधिनियम हर राजपत्र मा 3 सितंबर 2010 के छपे रीहिसे, अउ आज पूरा पांच साल हो गेहे, एला छत्तीसगढ़ी भाषा मा नई जारी करे गेहे। अगर छत्तीसगढ़ी ला सिरतोन में राजभाषा के इज्जत दे जातिस, त आज तक कम से कम ए हर तो छत्तीसगढ़ी मा प्रकाशित होईच गे रतिस।

राजभाषा काला कहिथे तेखर व्याख्या मा संविधान के धारा 343 मा करे गे हें। ओमे केहे गेहे के जउन भाषा मा सरकारी कामकाज करे जाही ओ हा राजभाषा आय, अउ भारत मा राजभाषा के रूप मा हिन्दी अउ अंग्रेजी दू ठन भाषा ला मान्यता प्रदान करे गे हावय। ऐखरे सेती केन्द्र सरकार के सब कामकाज मन ए दूनो भाषा मा करे जाथे। मैं कई घव इहां ए सुनथवं के छत्तीसगढ़ी ला आठवीं अनसूची मा शामिल करवाना पहिली प्राथमिकता के काम आय अउ एखर बर राजभाषा आयोग कभू-कभार कुछू कांही संगोष्ठी, प्रकाशन बगैरा करत रहिथे, जबकि आठवीं अनुसूची मा छत्तीसगढ़ी के शामिल होना - नई होना, एखर राजभाषा के रूप में इस्तेमाल ले बिलकुल अलग बात ए। त्रिपुरा मा काकबरोक, मेघालय मा खासी अउ गारो, मिजोरम मा मीजो, पांडिचेरी मा फ्रांसीसी अउ लक्ष्यद्वीप मा दिवेही वगैरा मन अइसनहा राजभाषा ऑय जौन मन आठवीं अनुसूची मा शामिल नई ए तभो ले ओ राज्य मन मा ए भाषा मन मा सरकारी कामकाज पूरा अधिकार के संग होथे। छत्तीसगढ़ मा घला जरूरत हे के राजभाषा के मतलब ला समझ के छत्तीसगढ़ी ला राज के कार्यालय मन मा काम करेबर बढ़ावा दिए जाय।

एखर बर जरूरी हे के सलाना कतका प्रतिशत कम से कम काम छत्तीसगढ़ी में हर आफिस मा करे जाए तेखर लक्ष्य निर्धारित करना चाही। छत्तीसगढ़ी मा काम करने वाला करमचारी मन ला प्रोत्साहन करे बर प्रतियोगिता अउ इनाम के घला बंदोबस्त करे जाना चाही। हर जिला मा राजभाषा कार्यान्वयन बर समिति के गठन करे जाए तेखर मुखिया उहां के कलेक्टर मन ला चाहे तो बनाए जा सकत हे। छत्तीसगढ़ी ले हिन्दी अउ हिन्दी ले छत्तीसगढ़ी मा अनुवाद बर मनखे रखे जाए। सब कर्मचारी मनला छत्तीसगढ़ी मा काम करे बर प्रशिक्षण देबर लगातार कार्यशाला मन के आयोजन करे जाए अउ सरकारी आदेश, विज्ञप्ति, विज्ञापन, निविदा राजपत्र अउ अन्य दस्तावेज मन ला दुनो भाषा या फेर छत्तीसगढ़ी भर मा प्रकाशित करे जाए।

आठवीं सूची मा शामिल होए बर तो देश के 38 भाषा मन लाइन मा लगे हावय। छत्तीसगढ़ी कब एमा शामिल होही तेखर अगोरा मा समय ला खुवार झन करे जाए, अउ एखर बर संगोष्ठी करके या फेर किताब छाप के अपन ताकत ला खरचा झन करके, वाकई मा अइसनहा काम करे जाए जउन मन राजभाषा के असली काम आँय। मतलब छत्तीसगढ़ी ला राजकाज के काम के रूप में सरकारी काम बर बढ़ावा देना, अउ इहां के दू करोड़ ले उप्पर मनखे जिनकर महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी आय ओंमन के बीच ए बात के एहसास कराना के छत्तीसगढ़ी हर छत्तीसगढ़ के राजभाषा आय, अउ एमा काम करेमा संकोच न करके गर्व महसूस करँय। भारत के संविधान मा लिखे गे हे कि हर कोई ला अपन मातृभाषा मा प्राथमिक शिक्षा पाए के अधिकार हावय, राजभाषा वाले मन ला चाही के ओमन एखरोबर जोर लगाके ए काम ला पूरा करय। किताब छपाई अउ कविता पढ़ई तो कहंू भी अउ कभी भी हो सकत हे अउ होवत रहिही। अभी तो देश मा सबले जादा बोले जाने वाले भाषा मा 12वाँ नंबर के भाषा, अउ दुनियाँ के 50वाँ सबले जादा बोले जाने वाले भाषा छत्तीसगढ़ी के प्रचार-प्रसार बर सिरतोन के काम संकलप के साथ करे जाय।
- अशोक तिवारी

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